डेथ एनिवर्सरी -अटल बिहारी वाजपिय

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अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018) एक प्रमुख भारतीय राजनेता, कवि और भारत के इतिहास में सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने तीन बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया: 1996 में संक्षिप्त अवधि के लिए, 1998 से 1999 तक और 1999 से 2004 तक। राजनीतिक स्पेक्ट्रम.

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
जन्म: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था।
शिक्षा: उन्होंने अपनी शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से पूरी की और बाद में डीएवी कॉलेज, कानपुर से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की।
प्रारंभिक राजनीतिक भागीदारी: वाजपेयी कम उम्र में ही राजनीति की ओर आकर्षित हो गए और एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए। बाद में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए।

अटल बिहारी वाजपेयी (1924-2018) एक प्रमुख भारतीय राजनेता, कवि और भारत के इतिहास में सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने तीन बार भारत के प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया: 1996 में संक्षिप्त अवधि के लिए, 1998 से 1999 तक और 1999 से 2004 तक। राजनीतिक स्पेक्ट्रम.

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
जन्म: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था।
शिक्षा: उन्होंने अपनी शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से पूरी की और बाद में डीएवी कॉलेज, कानपुर से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की।
प्रारंभिक राजनीतिक भागीदारी: वाजपेयी कम उम्र में ही राजनीति की ओर आकर्षित हो गए और एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए। बाद में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए।
राजनीतिक कैरियर
संसद सदस्य: वाजपेयी पहली बार 1957 में भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए थे। इन वर्षों में, वह विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए कई बार लोकसभा के लिए चुने गए।
भाजपा का गठन: 1980 में, जनसंघ के विघटन के बाद, वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सह-स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में भाजपा धीरे-धीरे भारत में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बनकर उभरी।

भारत के प्रधान मंत्री
पहला कार्यकाल (1996): मई 1996 में वाजपेयी पहली बार प्रधान मंत्री बने, लेकिन संसद में बहुमत की कमी के कारण उनकी सरकार केवल 13 दिनों तक चली।

दूसरा कार्यकाल (1998-1999): मार्च 1998 में वाजपेयी सत्ता में लौटे। इस कार्यकाल के दौरान, भारत ने मई 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की, जिसने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। हालाँकि, गठबंधन सहयोगी द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण 13 महीने बाद उनकी सरकार गिर गई।

तीसरा कार्यकाल (1999-2004): आम चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बहुमत हासिल करने के बाद अक्टूबर 1999 में वाजपेयी फिर से प्रधान मंत्री बने। इस कार्यकाल को महत्वपूर्ण उपलब्धियों से चिह्नित किया गया, जिनमें शामिल हैं:

आर्थिक सुधार: वाजपेयी की सरकार ने आर्थिक उदारीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित किया। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, जिसका उद्देश्य भारत के सड़क नेटवर्क में सुधार करना था, एक महत्वपूर्ण पहल थी।
विदेश नीति: उन्होंने पड़ोसी देशों, विशेषकर पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया। वाजपेयी के प्रयासों में 1999 में लाहौर की ऐतिहासिक बस यात्रा शामिल थी, जो शांति के प्रति प्रतिबद्धता का संकेत थी, हालांकि इसके बाद कारगिल युद्ध हुआ।
सामाजिक पहल: उनकी सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया, जिसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना और ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने के लिए कई पहल करना था।

बाद के वर्ष और विरासत
सेवानिवृत्ति: स्वास्थ्य कारणों से 2005 में वाजपेयी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया, लेकिन वह भारतीय सार्वजनिक जीवन में एक सम्मानित व्यक्ति बने रहे।
सम्मान: उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनका जन्मदिन, 25 दिसंबर, भारत में “सुशासन दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता है।
निधन: अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली में निधन हो गया। उनकी मृत्यु पर लाखों लोगों ने शोक व्यक्त किया और पूरे सम्मान के साथ उनका राजकीय अंतिम संस्कार किया गया।
व्यक्तित्व एवं प्रभाव
वक्तृत्व और कविता: वाजपेयी अपनी सशक्त वक्तृत्व कला और काव्यात्मक शैली के लिए जाने जाते थे। उनके भाषणों में उनकी गहराई, बुद्धि और वाक्पटुता की विशेषता थी, जिसने उन्हें भारतीय राजनीति में सबसे प्रशंसित वक्ताओं में से एक बना दिया। उन्होंने कविता और निबंधों के कई संग्रह भी प्रकाशित किए।
उदारवादी और समावेशी राजनीति: दक्षिणपंथी पार्टी के नेता होने के बावजूद, वाजपेयी शासन के प्रति अपने उदारवादी और समावेशी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उन्होंने विभाजन को पाटने और एकजुट और प्रगतिशील भारत की दिशा में काम करने की कोशिश की।
राजनेता कौशल: प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी का कार्यकाल विदेश नीति के प्रति उनके व्यावहारिक दृष्टिकोण, भारत की आर्थिक नींव को मजबूत करने के प्रयासों और विविध गठबंधन सरकार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की उनकी क्षमता के लिए याद किया जाता है।
परंपरा
अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत भारतीय राजनीति को प्रभावित करती रही है। उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने सैद्धांतिक राजनीति को व्यावहारिकता के साथ जोड़ा और जिन्होंने भारत की प्रगति और एकता के लिए अथक प्रयास किया। भारत के विकास, लोकतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा में उनका योगदान महत्वपूर्ण है और उन्हें आधुनिक भारतीय इतिहास के सबसे महान नेताओं में से एक के रूप में सम्मानित किया जाता है।

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